विद्या भारती द्वारा निर्धारित सत्र 2024-25 हेतु वार्षिक संस्कृत गीत

विद्याभारतीशिक्षावीणा, गुजित लोके निरन्तरा।
प्राचीनैषा तदपि नवीना, विश्वगुरोर्या परम्परा।।
1. ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽभिज्ञानमयो निज इतिहासः।
परमोत्कर्षिणी परम्परा या निदिध्यासने विश्वासः।।
सदा विजेत्री भारतमातुः गु॰िजतगीतास्वरमुखरा।
विद्याभारतीशिक्षावीणा, गु॰िजत लोके निरन्तरा।
प्राचीनैषा तदपि नवीना…………………।।
2. राष्ट्रसमर्पित सर्वस्वं मे, सेवाभावो हृदयेऽस्मिन्।
जीवनमूल्याधृतां सुशिक्षां, प्रसारयामि राष्ट्रेऽस्मिन्।।
एवं व्रतं सुस्थिरं कृत्वा कार्यार्थे स्यात् गतित्वरा।
विद्याभारतीशिक्षावीणा, गु॰िजत लोके निरन्तरा।
प्राचीनैषा तदपि नवीना…………………।।
3. विश्वमिदं मम बृहत्कुटुम्बं, माताभूमिर्भावनया।
परमसुशीलं धारयाम्यहं, जगद्विनम्रः कामनया।
संस्कृतिगौरवमयं चरित्रं, समरसकत्र्री कृतिरूचिरा।
विद्याभारतीशिक्षावीणा, गु॰िजत लोके निरन्तरा।
प्राचीनैषा तदपि नवीना…………………।।

विद्या भारती द्वारा निर्धारित सत्र- 2024-25 के लिए वार्षिक गीत (पूर्व माध्यमिक व वरिष्ठ माध्यमिक कक्षाओं हेतु)

राष्ट्र-धर्म-कर्तव्य मार्ग पर निशि-दिन बढ़ते जाएंगे ।
अपनी भारत माता को हम जग सिरमौर बनाएंगे।।

राणा, लाचित, छत्रसाल और चेन्नमा की शक्ति हम ।
नायन्मार, आलवारों, नरसी-चैतन्य की भक्ति हम ।
शक्ति-भक्ति-युक्ति से अब हम, प्रगति शिखर तक जाएंगे ।।
अपनी भारत माता…………………………।। 1।।

मर्यादा श्रीराम से लेकर सीता सती से तप लेकर
गुरू नानक, महावीर, बुद्ध से सत्य-शांति और जप लेकर ।
सकल विश्व में त्याग-शील और प्रेम सुधा सरसाएंगे।।
अपनी भारत माता…………………………।। 2।।

चंद्रयान ने चांद पर जाकर ध्वजा तिरंगा फरहाया ।
गगनयान ने अंतरिक्ष में भारत का गौरव गाया ।
ज्ञान और विज्ञान के बल पर विश्व गुरू कहलाएंगे।।
अपनी भारत माता…………………………।। 3।।

विद्या भारती द्वारा निर्धारित सत्र- 2024-25 के लिए वार्षिक गीत (प्राथमिक कक्षाओं हेतु)

नन्हे-मुन्ने भोले-भाले शूरवीर हम सच्चे हैं।
सिंहों के संग खेले हैं हम, भारत माँ के बच्चे हैं ।।

मैनावती हकीकत जैसे, वीरव्रती बलिदानी हैं।
ध्रुव प्रहलाद से भक्त और, ऋषि-मुनियों से ज्ञानी हैं।
देश की सेवा करते हैं हम, देश के सैनिक सच्चे हैं ।।
नन्हे-मुन्ने भोले-भाले……………………….।। 1।।

जाति-पाति और ऊँच-नीच का, भेद नहीं हम करते हैं
सब समाज के कष्टों को हम, अपना दुःख समझते हैं ।
मानवता मन में धारें हम, भले आयु में बच्चे हैं ।।
नन्हे-मुन्ने भोले-भाले……………………….।। 2।।

दुःख-दैन्य का तमस चीर कर, जग को राह दिखाएंगे।
भारत के वैभव का ध्वज,हम दुनिया में फहरायेंगे ।
राम-कृष्ण के वंशज हैं हम, गुरू गोविन्द के बच्चे हैं।।
नन्हे-मुन्ने भोले-भाले……………………….।। 3।।