विद्या भारती हिमाचल प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर कौशल विकास व मैपिंग के लिए प्रदेश के सभी जिलों में समितियों का गठन।

बैठक में उपस्थित अधिकारीगण ।

प्रदेश के परम्परागत व्यवसायों का कुशल कारीगरों के सहयोग से छात्रों को अपने पैरों पर खड़ा करने व सामर्थ्यवान बनाने के लिए विद्या भारती प्रदेश के 203 सरस्वती विद्या मन्दिरों में देगी प्रशिक्षण।
विद्या भारती हिमाचल प्रदेश नये शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से प्रदेश के सरस्वती विद्या मन्दिरों में शिक्षा नीति 2020 के अनुसार कौशल विकास के विषयों को प्रारम्भ करेगी। शिमला में कौशल विकास की बैठक प्रांत कौशल विकास प्रमुख कुशल कुमार शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के 12 जिलों में स्किल मैपिंग के लिए समितियों का गठन किया जा चुका है जो एक मास के अन्दर उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उस रिपोर्ट के आधार पर प्रशिक्षण के मॅडयूल तैयार किये जायेंगे। समाज से अभिभावकों, समाजसेवियों, सेवानिवृत विशेषज्ञों, व्यवसायियों की एक सूची तैयार की जायेगी ताकि वे कौशल विकास बारे छात्रों को जानकारियां व प्रशिक्षण दे सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अन्तर्गत बस्ताविहीन कक्षाओं का संचालन, इन्टर्नशिप की योजना की तैयारी पर चर्चा की गई। प्रांत अध्यक्ष मोहन सिंह कस्टा ने कहा कि प्रदेश के परम्परागत व्यवसायों को प्रदेश की आवश्यकताओं तथा संसाधनों के आधार कौशल विकास योजना को कुशल लोगों व कारीगरों के सहयोग से विद्या भारती प्रदेश में चलने वाले 203 सरस्वती विद्या मन्दिरों में आगामी सत्र 2022-23 से लागू करेगी ताकि छात्र अपने पैरों पर खड़ा होकर अपने परिवार का भरण पोषण करने में सामथ्र्यवान बन सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कक्षा 6 से 12 तक छात्र-छात्राओं को रोजगार युक्त शिक्षा की बात है। इस हेतु सत्र भर में 10 दिन बस्ता विहीन घोषित किया है। इसके अन्तर्गत प्रदेश भर में छात्रों को कृषि, बागवानी, मधुमक्खी पालन, नर्सरी, कम्प्यूटर प्रयोग, कम्प्यूटर मरम्मत का प्रशिक्षण देकर छात्रों को स्वावलंबी बनाया जायेगा।
इस अवसर पर विद्या भारती के क्षेत्रीय महामंत्री देशराज शर्मा, क्षेत्र प्रचार प्रमुख राजेन्द्र कुमार, प्रांत अध्यक्ष मोहन सिंह केस्टा, प्रांत संगठन मंत्री ज्ञानसिंह, प्रांत कार्यालय प्रमुख देवीसिंह वर्मा उपस्थित रहे।